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Dussehra 2022: विजयदशमी के दिन इस जगह पर राम नहीं रावण की होती है धूमधाम से पूजा, जानिए वजह

Dussehra 2022: देश भर में आज विजयदशमी के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत मानी जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन एक ऐशी जगह है जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। रावण के इस मंदर को साल में एक बार सिर्फ चंद घंटों के लिए खोला जाता है। और हर साल की तरह आज भी जब ये मंदर खोला गया तो बड़ी संख्या में लोग रावण की पूजा करने के लिए पहुंच गए।

कानपुर में स्थित है रावण का ये मंदिर

आपको बता दें कि रावण का ये मंदिर उद्य़ोग नगरी कानपुर में है। विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधि विधान से रावण का दुग्ध अभिषेक किया जाता है। रावण का श्रृंगार किया जाता है।उसेक बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है। यहां के पुजारियों का मत है कि रावण को जब राम ने मारा था तो नाभि में तीर लगने के बाद और रावण के धाराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया।

पुजारियों का कहना है कि जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े होकर सम्मानपूर्वक नीति ज्ञान ती शिक्षा ग्रहण करोक्यों कि धरातल पर कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा नहीं हुआ है और न कभी होगारावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है।

साल 1868 में कानपुर में ये मंदिर बनाया गयाजहां हर साल इस दिन पूजा की जाती हैलोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं और मंदर खुलने पर बड़े ही धूमधाम से पूजा की जाती है। पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ रावण की आरती भी की जाती है। मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती है।

रावण का जन्मदिन

दशहरे के दिन ही रावण का जन्दिन भी मनाया जाता है। बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिलाउसी दिन रावण पैदा भी हुआ था। कानपुर में रावण के मंदर को केवल दशङरे के दिन ही खोला जाता है। दशहरे के दिन सुबह मंदर खुलता है और 11 बजे के करीब मंदर साल भर के लिए बंद कर दिया जाता है।

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