यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गोरखपुर शहर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टिकट देकर पहले ही बड़ा दांव खेल दिया है. जिसके बाद से विपक्षी दलों की ओर से इस सीट पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं हो सकी है. लेकिन इन सब के बीच आजाद समाज पार्टी ने विधानसभा चुनाव में गोरखपुर से सीएम योगी के सामने चंद्रशेखर आजाद को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. आजाद समाज पार्टी ने पहले समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने का प्रयास किया था. लेकिन करीब 40 दिनों तक चली बातचीत के बाद चंद्रशेखर को निराशा ही हाथ लगी. इसके बाद पश्चिमी यूपी में अपना जनाधार रखने वाले चंद्रशेखर ने सीधे योगी को उनके गढ़ में ही चुनौती देने का फैसला कर लिया है. पार्टी की ओर से अभी तक एक ही उम्मीदवार की घोषणा की गई है. लेकिन पार्टी के इस फैसले ने प्रदेश की राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है. बता दें कि योगी आदित्यनाथ भी पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
वो 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले तक लोकसभा के सदस्य थे. योगी 1998 में पहली बार गोरखपुर से लोकसभा सांसद चुने गए और वो लगातार 5 बार से गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीतते आए है. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने विधानपरिषद की राह चुन ली है. वही दूसरी ओर दलित युवाओं को शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने के लिए चंद्रशेखर आजाद ने आजाद भीम आर्मी की स्थापना की जिसके बाद उन्होंने राजनीति के मैदान में भी किस्मत आजमाने का निर्णय लिया.
बीएसपी संस्थापक कांशीराम को आदर्श मानकर चंद्रशेखर ने राजनीति की शुरुआत की है. वे दलितों के नेता के रूप में खुद को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं और सीएम योगी के सामने खुद को खड़ा कर उन्होंने साफ संकेत दे दिया है कि वे अब राजनीतिक लड़ाई पूरे दमखम के साथ लड़ने के मूड में हैं.
चंद्रशेखर के सीएम योगी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने से प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. दलित वोटरों को एकजुट कर सीएम योगी को घेरने की कोशिश चंद्रशेखर कर सकते हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी और बीएसपी के उम्मीदवारों के नाम पर अब नजर रहेगी. ऐसे में तमाम दलों की कोशिश अब सीएम योगी को उनके सीट पर घेरने की हो सकती है.