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Bharat Ratna: ‘जब चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का दिया था आदेश’,किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की अनसुनी कहानी

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Chaudhary Charan Singh Bharat Ratna: केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार फिर देश के तीन लोगों को भारत रत्न देने का फैसला किया है।पूर्व प्रधानमंत्री स्व. पी.वी. नरसिम्हा राव , पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह  और भारत में कृषि क्रांति के जनक, प्रसिद्ध वैज्ञानिक श्री एम.एस. स्वामीनाथन  को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।तीनों लोगों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि, कुछ दिन पहले बिहार के पूर्व सीएम कर्पुरी ठाकुर और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने का फैसला किया था।

जयंत चौधरी ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

वहीं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के ऐलान के बाद उनके पोते और RLD प्रमुख जयंत चौधरी ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है।उन्होंने कहा कि,  “ये बहुत बड़ा दिन है। मेरे लिए भावुक और यादगार पल है। मैं राष्ट्रपति, भारत सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। इससे बहुत बड़ा संदेश पूरे देश में गया है। देश की भावनाएं सरकार के इस फैसले से जुड़ी हैं। मोदी जी ने साबित किया है कि वे देश की मूलभावना को समझते हैं…जो आजतक पूर्व की सरकार नहीं कर पाई वे फैसला नरेंद्र मोदी ने लिया है।”

गाजियाबाद जिले के नुपुर गांव में हुआ था जन्म

बता दे कि, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग बहुत पुरानी है। देश के समाजवादी नेता वर्षों से उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं।बता दे कि स्व. चौधरी चरण सिंह भारत के प्रधान मंत्री के साथ ही देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के भी सीएम रह चुके हैं।चौधरी चरण सिंह का जन्म यूपी के गाजियाबाद जिले के नुपुर गांव में 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था।

अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में गए जेल

कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।
जब पुलिस ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का दिया था आदेश
9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना, बुलन्दशहर के गाँवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। मेरठ कमिश्नरी में युवक चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी। मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था। एक तरफ पुलिस चरण सिंह की टोह लेती थी वहीं दूसरी तरफ युवक चरण सिंह जनता के बीच सभायें करके निकल जाता था। आखिरकार पुलिस ने एक दिन चरण सिंह को गिरफतार कर ही लिया। राजबन्दी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई। जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित पुस्तक ‘‘शिष्टाचार‘‘, भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है।

29 मई 1987 को उनका देहांत हो गया

एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने। 29 मई 1987 को उनका देहांत हो गया।

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