Darshan Hiranandani: पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में ममता बनर्जी(Mamta Banerjee)की पार्टी तृणमूल कांग्रेस(TMC )की सांसद महुआ मोइत्रा(Mahua Moitra)की सांसदी चली गई है। लोकसभा अध्यक्ष ने वोटिंग के जरिए महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने की घोषणा की। कैश फॉर क्वेरी मामले(Cash for Query)में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बाद उनकी सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर 8 दिसंबर 2023 को संसद में चर्चा हुई। उसके बाद वोटिंग कराया गया। ज्यादातर सदस्य उनकी सदस्यता रद्द करने की पक्ष में थे। जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता रद्द करने का फैसला सुनाया।
महुआ मोइत्रा पर बिजनेसमैन हीरानंदानी से पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप है। आरोप है कि, उनकी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए महुआ ने संसद में सरकार से सवाल पूछा था। इस रिपोर्ट के जरिए हम जानेंगे कि कौन है हीरानंदानी जिसके चक्कर में टीएमसी सांसद महुआ की संसद सदस्यता चली गई है।
रियल स्टेट में बड़ा नाम है हीरानंदानी ग्रुप
दर्शन हीरानंदानी देश के बड़े कारोबारी है। रियल स्टेट सेक्टर में उनका बड़ा नाम है। हीरानंदानी ग्रुप रियल एस्टेट कंपनी के सीईओ दर्शन हीरानंदानी का नाम कैस फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा के साथ जुड़ा। दर्शन पर आरोप लगा कि, उन्होंने अपनी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए महुआ मोइत्रा को पैसे दिए। ताकि वो संसद में अडानी को लेकर सवाल करें। इस मामले में खुलासा होने के बाद उनका नाम चर्चा में आया। दर्शन की कंपनी का अधिकतर कारोबार मुंबई में है। दर्शन के पिता निरंजन हीरानंदानी इस कंपनी के फाउंडर है। हीरानंदानी ग्रुप रेजिडेंशियल टाउनशिप के से लेकर आईटी पार्क, बिजनेस पार्क, मॉल के अलावा इस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से जुड़ी हुई है।
रियल एस्टेट के अलावा भी कई कारोबार है
कंपनी के कई प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से बाहर भी चल रहे हैं। मुंबई के अलावा बेंगलुरु, चेन्नई में कंपनी के कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। कंपनी रियल एस्टेट के अलावा डाटा सेंटर, ऑयल ऐंड गैस सेक्टर, सेमीकंडक्टर और कंज्यूमर सर्विसेज में तेजी से विस्तार कर रही है। हीरानंदानी दर्शन निडर ग्रुप, योट्टा डाटा सर्विसेज, एच एनर्जी और तेज प्लेटफार्म की कमान भी संभालते हैं। यह कंपनियां अलग-अलग सेक्टर में काम करती है।
पाकिस्तान से भारत आकर बसा था उनका परिवार
हीरानंदानी समूह का इतिहास आजादी से पहले का है। दर्शन हीरानंदानी के दादा लखुमार हीरानंदानी पाकिस्तान में रहते थे। परिवार से विवाद होने के बाद वो सिंध (पाकिस्तान) को छोड़कर भारत आकर बस गए। साल 1937 में लक्ष्मण हीरानंदानी मुंबई आकर बस गए। साल 1942 में उन्होंने मुंबई की टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज से स्नातक किया और आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन चले गए। पढ़ाई के पास वो वापस भारत लौट आए। उन्होंने मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में सर्जन के तौर पर काम किया। बाद में उन्होंने हीरानंदानी फाऊंडेशन ट्रस्ट की शुरुआत की। इस ट्रस्ट के भीतर वह स्कूल चलाते थे। उन्होंने अंग व्यापार को लेकर सामाजिक जागरूकता के लिए भी काम किया। चिकित्सा और सामाजिक जागरूकता को लेकर उनके योगदान को देखते हुए उन्हें साल 1972 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। साल 2013 में उनके निधन के बाद बेटे निरंजन हीरानंदानी और सुरेंद्र ने हीरानंदानी ग्रुप की कमल संभाला और कारोबार का विस्तार किया।