Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

जानें इस देश की अनोखी परंपरा: सड़क किनारे सुलाए जाते हैं बच्चे, जबकि माता-पिता जाते हैं रोमांटिक डेट पर

दुनिया भर में अलग-अलग देशों की संस्कृति और परंपराएं समय के साथ विकसित होती हैं। इनमें से कुछ परंपराएं और रिवाज बेहद अनोखे और चौंकाने वाले होते हैं। एक ऐसा ही अजीबोगरीब रिवाज एक देश में देखने को मिलता है, जहां माता-पिता अपने छोटे बच्चों को सड़क किनारे सुलाकर खुद रोमांटिक डेट पर निकल जाते हैं। इस अनोखी परंपरा ने दुनियाभर के लोगों को हैरान कर दिया है। आइए जानते हैं इस रिवाज के पीछे की कहानी और क्यों यह दुनिया के लिए चौंकाने वाला है।

कौन सा देश है यह?

यह अनोखा और हैरान करने वाला रिवाज उत्तरी यूरोप के देशों में, खासतौर पर डेनमार्क और नॉर्वे में प्रचलित है। यहां माता-पिता अपने छोटे बच्चों को बिना किसी डर के सड़क किनारे या सार्वजनिक स्थानों पर बाहर सुलाकर खुद किसी कैफे या रेस्तरां में डेट पर चले जाते हैं। यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यहां के लोग इसे सामान्य मानते हैं और यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है।

सड़क पर बच्चों को सुलाने की परंपरा

डेनमार्क और नॉर्वे जैसे देशों में यह मान्यता है कि ताजी हवा और ठंडे वातावरण में बच्चों को बाहर सुलाना उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है। यहां के माता-पिता अपने नवजात और छोटे बच्चों को ठंडे मौसम में भी बाहर सुलाना पसंद करते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से सर्दियों में देखने को मिलती है, जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। ऐसा माना जाता है कि बाहर सोने से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और उन्हें बेहतर नींद आती है।

यह रिवाज इन देशों में बहुत ही सामान्य है और माता-पिता बच्चों के साथ बाहर जाते समय उन्हें आराम से सड़क किनारे या रेस्तरां के बाहर की बेंचों पर सुला देते हैं। इसके बाद वे खुद कैफे में बैठकर अपनी डेट का आनंद लेते हैं। यह नजारा आमतौर पर पार्कों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर देखा जा सकता है।

सुरक्षा पर कोई चिंता नहीं?

सबसे बड़ा सवाल जो इस परंपरा के बारे में उठता है, वह यह है कि क्या बच्चों को इस तरह बाहर अकेला छोड़ना सुरक्षित है? आश्चर्यजनक रूप से, इन देशों में माता-पिता को इस बारे में कोई चिंता नहीं होती। नॉर्वे और डेनमार्क जैसे देशों में अपराध दर बहुत कम है, और यहां लोग एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। इसलिए माता-पिता बिना किसी डर के अपने बच्चों को बाहर अकेला छोड़ सकते हैं।

Babies Sleep Alone Outside

यहां के लोग मानते हैं कि उनके समाज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा, बच्चों के पास अक्सर बेबी मॉनिटर लगे होते हैं, ताकि माता-पिता रेस्तरां के अंदर बैठकर भी बच्चों की गतिविधियों पर नजर रख सकें। यहां के लोगों का कहना है कि यह उनके समाज का हिस्सा है और सभी इसे सहज रूप से स्वीकार करते हैं।

बच्चों की सेहत पर पड़ता है असर?

माना जाता है कि बच्चों को बाहर ताजी हवा में सुलाने से उनकी सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ठंडे मौसम में सोने से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और वे स्वस्थ रहते हैं। कई माता-पिता का मानना है कि इससे बच्चों को बेहतर नींद आती है और वे ज्यादा आराम महसूस करते हैं। हालांकि, यह रिवाज दुनिया के अन्य देशों में चौंकाने वाला हो सकता है, लेकिन इन देशों में इसे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।

इस परंपरा के प्रति दुनियाभर की प्रतिक्रिया

जब इस परंपरा के बारे में जानकारी अन्य देशों में पहुंची, तो दुनियाभर के लोगों ने इसे हैरान करने वाला बताया। खासकर उन देशों में जहां बच्चों की सुरक्षा को लेकर अत्यधिक सतर्कता बरती जाती है, वहां यह परंपरा पूरी तरह से असामान्य मानी गई। कई देशों में जहां बच्चों को अकेला छोड़ने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है, वहां इस तरह के रिवाज को अव्यवहारिक और खतरनाक माना गया।

हालांकि, डेनमार्क और नॉर्वे जैसे देशों में इसे एक सामान्य और स्वास्थ्यप्रद परंपरा के रूप में देखा जाता है। यहां के लोग अपने समाज की सुरक्षा और एक-दूसरे पर भरोसे के कारण इस परंपरा को जारी रखते हैं।

डेनमार्क और नॉर्वे जैसे देशों में बच्चों को सड़क किनारे सुलाने की परंपरा निश्चित रूप से दुनिया के लिए चौंकाने वाली है। यह परंपरा न केवल इन देशों की सांस्कृतिक विशिष्टता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि समाज की संरचना और विश्वास किस तरह से इन रिवाजों को आकार देते हैं।

हालांकि, यह रिवाज अन्य देशों में असामान्य और जोखिम भरा माना जा सकता है, लेकिन इन देशों में इसे स्वास्थ्यवर्धक और सामान्य परंपरा के रूप में देखा जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles