Dussehra 2022: आज दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तारीख को श्री राम ने रावन का वध किया था। तभी से ये पर्व दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन कई जगहों पर दस सिर वाले रावन के पुतले का दहन किया जाता है। आज इस मौके पर हम रावण और उसके परिवार से जुड़े इतिहास के बारे में बताएंगे
राक्षसराज रावन बेहद विद्वान और घमंडी था। उसे अपने सोने की लंका पर बहुत अभिमान था। शास्त्रों के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दश्मी तिथि को भगवान राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके चंगुल से आजाद कराया था तभी से दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानकार मनाया जाता है। इस दिन सिर्फ रावन नहीं बल्कि कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है।
जानिए मंदोदरी के अलावा रावण की और कितनी पत्नियां थीं
जब जब रावण का जिक्र आता है तो उसकी पत्नी मनदोदरी का भी जिक्र होता है, लेकिन आपको जानकर ये हैरानी होगी कि रावण की एक ही पत्नी नहीं थी। आज हम आपको इस विजय दशनी के उत्सव पर बताते हैं कि आखिर रावण की कितनी पत्नियां थीं और उसके मौत के बाद उसकी पहली पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ
रावण की पहली पत्नी मंदोदरी थी। मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की बेटी थीं इद्रजीत , मेघनाद, महोदर, प्रहस्त , विरुपाक्ष भीकम वीर मंदोदरी की ही संतानें थीं. वहीं रावण की दूसरी पत्नी का नाम धन्यमालिनी था. धन्यमालिनी ने आतिक्या और त्रिशिरार नाम के दो बच्चों को जन्म दिया था। मंदोदरी और धन्यमालिनी के अलावा रावण की एक तीसरी पत्नी भी थी । तीसीर पत्नी के नाम के बारे में कोई जानकारी नहीं है। या यूं कहें कि नाम अज्ञात है, लेकिन प्रहस्था , नरांततका और देवताका उसी की संतानें थीं.
मंदोदरी ने विभीषण से विवाह स्विकारा
जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो विभीषण लंका का राजा बन गया था। ऐसा कहते हैं कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने अपनी भाभी मंदोदरी से विवाह कर लिया था। मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि वो पतिवर्ता पत्नी थी, इसलिए रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। वो विभीषण के राजपाठ से खुद को अलग कर चुकी थीं, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया था