Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

Electoral Bond: ‘सुदामा को चावल देते…भगवान कृष्ण भ्रष्टाचार कर रहे थे’, इलेक्टोरल बॉन्ड पर पीएम मोदी का तंज

PM Modi Electoral Bond: पीएम मोदी आज यूपी के संभल दौरे पर कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास करने पहुंचे थे।वैदिक मंत्रों के साथ पीएम ने कल्कि धाम मंदिर का भूमि पूजन किया।इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आचार्य प्रमोद कृष्णम भी बैठे हुए नजर आए। इस मंदिर को श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट की तरफ से बनवाया जा रहा है। इसके अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं। इस दौरान पीएन मोदी ने चुनावी बॉन्ड के प्रतिबंध पर चुटकी ली।

सुदामा का नाम लेकर किया तंज

सभा को संबोधित करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि, ‘हर किसी के पास देने के लिए कुछ न कुछ है लेकिन मेरे पास कुछ नहीं है, मैं केवल अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकता हूं। पीएम मोदी ने प्रमोद कृष्णम के शब्दों को कोट करते हुए कहा कि, ‘प्रमोद जी अच्छा हुआ आपने मुझे कुछ नहीं दिया, वरना जमाना ऐसा बदल गया है कि अगर आज के जमाने में सुदामा श्री कृष्ण को चावल देते और वीडियो सामने आ जाता तो सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी जाती और फैसला आएगा कि भगवान कृष्ण को भ्रष्टाचार में कुछ दिया गया था और भगवान कृष्ण भ्रष्टाचार कर रहे थे.. बेहतर होगा कि आपने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं और कुछ नहीं दिया..’।

इलेक्टोरल बॉन्ड असंवैधानिक’

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था साथ ही चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी है।सीजेआई के नेतृत्व वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने इस पर अपना फैसला सुनाया था।पीठ ने कहा था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी ELECTION COMMISSION को देनी होगी।राजनीतिक दल इसके बाद खरीददारों के खाते में चुनावी बांड की राशि वापस कर देंगे।2019 से लिए गए चंदे को वापिस कंपनियों के खातों में डालना होगा।

‘कॉर्पोरेट डोनेशन का 90 फ़ीसदी सत्ताधारी पार्टी को मिला’

कोर्ट का कहना था कि इस योजना से सत्ताधारी पार्टी को फायदा उठाने में मदद मिलेगी।2022-23 में कॉर्पोरेट डोनेशन का 90 फ़ीसदी सत्ताधारी पार्टी को मिला। चुनावी बांड योजना को ये कहकर उचित नहीं ठहराया जा सकता। इससे राजनीति में काले धन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। दानदाताओं की गोपनीयता महत्वपूर्ण है, लेकिन पूर्ण छूट देकर राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता हासिल नहीं की जा सकती।

जानिए क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड

2017 के बजट सत्र में मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड लाने की घोषणा की थी।सरकार हर साल जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10-10 दिन के लिए बॉन्ड जारी करती थी।जिसका मूल्य होता- एक हजार, दस हजार, दस लाख या एक करोड़ रुपये होता था। राजनीतिक पार्टियों को 2 हजार रुपये से अधिक चंदा देने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति या कॉरपोरेट हाउस भारतीय स्टेट बैंक की तय शाखाओं से ये बॉन्ड खरीद सकते थे।इलेक्टोरल बॉन्ड मिलने के 15 दिनों के भीतर, इन्हें अपने खाते में जमा कराना होता था।।इलेक्टोरल बॉन्ड राजनैतिक पार्टियों को गुमनाम तरीके से चंदा देने का एक तरीका था।इसमें चंदा देने वाले व्यक्ति या संस्था की पहचान का पता नहीं चलता था। वहीं सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड्स को पॉलिटिकल फंडिंग की दिशा में सुधार बताती थी।

Sumit Jha
Sumit Jha
Sumit Jha is full time content writer in DK News India, He give his thoughts on politics, viral news, business news and many more topics

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles