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“आई टेक माय वर्ड्स बैक!”: कृषि कानूनों पर बयान से घिरीं कंगना, बीजेपी की नाराजगी के बाद मांगी माफी

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत एक बार फिर से विवादों में घिर गई हैं। इस बार मामला कृषि कानूनों पर दिए गए उनके बयान का है, जिसमें उन्होंने किसानों और कृषि कानूनों के विरोधियों पर तीखी टिप्पणी की थी। उनके बयान के बाद बीजेपी के कुछ नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद कंगना को अपने शब्द वापस लेने और माफी मांगने पर मजबूर होना पड़ा।

kangna

कंगना का विवादित बयान

कंगना रनौत ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि “कृषि कानून किसानों के हित में थे, लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों ने इनका विरोध करके किसानों को गुमराह किया।” उन्होंने यह भी कहा था कि “किसान आंदोलन के दौरान जो हिंसा और अराजकता फैली, वह एक साजिश थी, और इससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया।”

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। कई किसानों ने कंगना के इस बयान को अपमानजनक बताया, और उनके खिलाफ जमकर विरोध किया। इसके अलावा, बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी कंगना के बयान की आलोचना की और इसे गैर-जिम्मेदाराना करार दिया।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कृषि मामलों के जानकारों ने कंगना के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कंगना को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बयान देने से पहले सोच-समझ लेना चाहिए। बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा, “किसान आंदोलन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी, जिसमें लाखों किसानों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखी। कंगना का यह बयान ना सिर्फ किसानों का अपमान है, बल्कि इससे पार्टी की छवि पर भी असर पड़ता है।”

कंगना ने मांगी माफी

बीजेपी नेताओं की नाराजगी और सोशल मीडिया पर हो रहे विरोध के बाद कंगना ने माफी मांगते हुए कहा, “मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था। अगर मेरे बयान से किसी को आहत हुआ है, तो मैं उसके लिए क्षमा चाहती हूं।” उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों पर उनकी राय उनके निजी विचार हैं, और वे पार्टी या किसी अन्य संगठन का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।

कंगना के बयान के बाद बीजेपी के अंदर भी असहजता का माहौल बन गया है। पार्टी ने कई मौकों पर कंगना का समर्थन किया है, लेकिन इस बार उनके बयान से पार्टी के लिए एक कठिन स्थिति पैदा हो गई थी। बीजेपी के कई नेताओं ने स्पष्ट किया कि कंगना का बयान पार्टी की नीति और दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करता।

कंगना रनौत ने पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने कई बार अपने बयानों में विपक्षी दलों और नेताओं पर भी तीखे हमले किए हैं। इसके चलते वे अक्सर चर्चा में रहती हैं, लेकिन इस बार उनका बयान खुद बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर गया।

कंगना का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले भी वे महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना से विवादों में रही हैं। उनके बयानों ने ना केवल उन्हें सुर्खियों में रखा, बल्कि उन्हें कानूनी पचड़ों में भी फंसाया है। इस बार कृषि कानूनों पर दिए बयान से किसानों और उनके समर्थकों की नाराजगी के बाद कंगना को बैकफुट पर आना पड़ा।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया पर कंगना के बयान को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कई लोगों ने कंगना की आलोचना की और कहा कि उन्हें किसानों के संघर्ष का मजाक नहीं बनाना चाहिए। वहीं, कुछ समर्थकों ने कंगना का समर्थन किया और कहा कि वे अपनी राय रखने का हक रखती हैं।

कुछ यूजर्स ने लिखा, “कंगना ने पहले भी कई मुद्दों पर बेबाकी से राय रखी है, लेकिन इस बार उन्हें ध्यान रखना चाहिए था कि कृषि कानून और किसान आंदोलन एक संवेदनशील मुद्दा है।” जबकि कुछ अन्य ने कहा, “कंगना ने माफी मांगकर अच्छा किया, लेकिन उन्हें अपने शब्दों के चयन में सतर्कता बरतनी चाहिए।”

कंगना रनौत के लिए यह घटना एक सबक है कि उन्हें संवेदनशील राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी करने से पहले सोच-समझ लेना चाहिए। इससे पहले भी उनके कई बयानों ने विवाद उत्पन्न किए हैं, लेकिन इस बार उनके बयान ने राजनीतिक गलियारों में भी खलबली मचा दी।

आगे आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कंगना अपने बयानों और विचारों को लेकर कैसे सतर्कता बरतेंगी और क्या वे इस तरह के विवादों से बचने की कोशिश करेंगी। इसके अलावा, यह भी देखना होगा कि बीजेपी और कंगना के बीच का संबंध इस घटना के बाद किस दिशा में जाता है।

कंगना रनौत का कृषि कानूनों पर दिया गया बयान और उसके बाद माफी मांगना एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रसिद्ध क्यों न हो, अपने बयानों में सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर जब बात किसानों और उनके आंदोलन की हो। कंगना की माफी ने मामले को शांत करने का प्रयास किया है, लेकिन यह घटना यह भी सिखाती है कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बयानबाजी करते समय सभी को जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए।

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