India-Middle East-Europe Corridor: दिल्ली में चल रहे हैं जी-20 समिट के पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप-कनेक्टिविटी कॉरिडोर(India -Middle East-Europe) के लॉन्च की घोषणा कर दी। इस प्रोजेक्ट में भारत के साथ यूएस,जर्मनी, यूएई, सऊदी अरब, यूरोपीय यूनियन, इटली और फ्रांस शामिल होंगे। यह भारत से जुड़ा पहला ऐसा शिपिंग और रेलवे कॉरिडोर होगा। इसके निर्माण और बुनियादी ढांचे पर सहयोग की सहमति बन गई है।
क्या है भारत-मध्य पूर्व-यूरोप-कनेक्टिविटी कॉरिडोर(IMEC)
न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के माध्यम से रेलवे और बंदरगाह के माध्यम से भारत को मिडल ईस्ट और यूरोप से जोड़ा जाएगा। इसमें यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन जैसे देश शामिल होंगे। इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से भारत और यूरोप के बीच लगभग 40% तक ट्रेड तेज़ हो सकता है।
ऐसे काम करेगा IMEC
इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए भारत में बना उत्पाद पहले समुद्र के रास्ते संयुक्त अरब अमीरात जाएगा। फिर यूएई से सऊदी अरब, जॉर्डन होते हुए ये रेलमार्ग से इजरायल के हाइफा बंदरगाह तक पहुंचेगा। इसके बाद समुद्री मार्ग के जरिए भारतीय सामान को हाइफा से यूरोप पहुंचाया जाएगा। इस पूरे रास्ते में मुख्य भूमिका रेलमार्ग और समुद्री जलमार्ग की होगी।
समझौते से बौखलाया चीन
वहीं इस बड़े समझौते के बाद चीन बौखला गया है उसने भारत को इस अहम समझौते पर सवाल उठाया है।चीन के मुख पत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में लिखा कि, ‘यह पहल जानबूझकर चीन को अलग थलग करने की कोशिश में की जा रही है। बाइडेन सरकार की मिडिल ईस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान, चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव को काउंटर करने की साफ कोशिश है। जबकि BRI तो इस साल कई उपयोगी परियोजनाओं के साथ अपनी 10वीं वर्षगांठ बना रहा है।’
क्या है चीन का BRI
दरअसल, IMEC सीधे तौर पर चीन के बेल्ट और रोड इनीशिएटिव की काट के तौर पर देखा जा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में BRI को दुनिया के सामने पेश किया था। BRI के जरिए चीन ने मध्य एशिया से होते हुए मिडल ईस्ट और फिर यूरोप तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वह जलमार्गों के जरिए दक्षिण-पूर्व एशिया से मिडल ईस्ट और फिर वहां से अफ्रीका तक अपना सामान पहुंचाना चाहता है।