Nalanda University: पीएम मोदी ने आज करीब साढ़े 17 सौ करोड़़ रुपये से बनी नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्धाटन किया…इसके बाद प्रधानमंत्री ने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए स्वरूप को देश को समर्पित किया. इस रिपोर्ट में नालंदा यूनिवर्सिटी के गौरवपूर्ण इतिहास को जानिए.
गुप्त वंश ने यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी
नालंदा विश्वविद्यालय को यूनेस्को अपनी हेरिटेज साइट का दर्जा दे चुका है…क्योंकि ये दुनिया की सबसे पुरानी आवासीय यूनिवर्सिटी थी. इसका निर्माण आज से करीब 1600 साल पहले गुप्त वंश के सम्राट कुमार गुप्त ने कराया था और ये 427वीं ईसवीं में बन कर तैयार हुई थी फिर 12वीं सदी के अंत तक यहां ज्ञान की धारा बहती रही
इस दौरान करीब 800 साल से ज्यादा इस यूनिवर्सिटी में दुनिया भर के लाखों छात्र आए और पढ़ कर गए.
दुनिया भर के छात्र यहां पढ़ने आते थे
अपनी भव्यता और ख्याति की वजह से ये विश्वविद्यालय आक्रांताओं के निशाने पर भी रहा नालंदा विश्वविद्यालय ने तीन बार बड़े हमलों का सामना किया…और हर बार वो उसने उन्हे झेल कर दोबारा फिर से खुद को जिन्दा भी किया ये यूनिवर्सिटी एक वक्त दुनिया भर में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था नालंदा विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र रह कर पढ़ सकते थे और उनके लिए 1500 से ज्यादा टीचर्स थे, जो अध्यात्म, और तर्क शास्त्र से लेकर मैटलर्जी तक की शिक्षा देते थे…और यहां सिर्फ़ भारत के ही नहीं…चीन, कोरिया, जापान, भूटान से भी छात्र शिक्षा लेने आते थे..यही नहीं चीन के छात्र ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी में नालंदा में पढ़ाई की थी
लेकिन साल 1193 में अफगानिस्तान से आए एक हमलावर बख्तियार खिलजी ने यूनिवर्सिटी को जलाकर नष्ट कर दिया.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देखा था सपना
वैसे आज आपको ये भी जानना चाहिए कि आखिर नालंदा को दोबारा रिस्टोर करने का आइडिया किसका है. ये आइडिया था पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उन्होने ही इस यूनिवर्सिटी का सपना देखा था..वो 28 मार्च 2006 को अपने बिहार दौरे पर राजगीर पहुंचे थे और तब इस यूनिवर्सिटी के अवशेष देखने के बाद उन्होने इस प्राचीन विश्वविद्यालय को फिर से रिस्टोर करने की सलाह दी थी जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसकी सलाह के बाद विधानसभा में इसे दोबारा बनाने का ऐलान किया था और आखिरकार आज उनका ये सपना भी पूरा हुआ है.