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Nepal New PM: नेपाल में फिर माओवादी की सरकार, 275 सदस्यीय संसद में मात्र 32 सीट जीतने के बाद भी प्रचंड बने नए प्रधानमंत्री

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New PM of Nepal: नेपाल की सत्ता की कमान एक बार फिर पुष्प कमल दहल प्रचंड(Pushpa Kamal Dahal Prachand) संभालने जा रहे हैं। वह नेपाल के अगले प्रधानमंत्री होंगे और सोमवार 26 दिसंबर को स्थानीय समय के अनुसार शाम 4:00 बजे वह तीसरी बार नेपाल के पीएम पद की शपथ लेंगे। नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। नेपाल में हुए आम चुनावों के बाद किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला था। लेकिन एक नाटकीय घटनाक्रम में विपक्षी सीएम, सीपीएन-यूएमएल और छोटे दल रविवार (25 दिसंबर) को प्रचंड को अपना समर्थन देने पर सहमत हो गए हैं। इसके साथ ही प्रचंड का तीसरी बार पीएम बनना तय हो गया।

राष्ट्रपति के तरफ से सरकार बनाने का मिला न्योता

नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को लिखे पत्र में प्रचंड ने कहा कि उनको प्रधानमंत्री पद के लिए निर्दलीय सांसदों समेत 169 सांसदों का समर्थन मिल गया है। जिसके बाद राष्ट्रपति ने उनको नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। कल वे अपनी पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे।


275 सीटों में मात्र 32 सीटों पर जीतने के बाबजूद बनेंगे पीएम

गौर करने वाली बात है कि प्रचंड की पार्टी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर)को संसद की कुल 275 सीटों में से मात्र 32 सीटों पर जीत मिली है। उसके बावजूद तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं।


6 दलों के गठबंधन का करेंगे नेतृत्व

पुष्प कमल दहल प्रचंड 6 दलों के गठबंधन से बनी सरकार का नेतृत्व करेंगे। आज छह दलों के गठबंधन द्वारा अगली सरकार बनाने के लिए उन्हें समर्थन देने का फैसला किया गया, जिसके तुरंत बाद प्रचंड ने राष्ट्रपति के साथ नेपाल के प्रधानमंत्री पद पर दावा कर दिया।नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के एक नेता ने कहा कि 6 दलों के गठबंधन ने पुष्प कमल दहल को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने का फैसला किया है। एक समझौता किया गया है जिसके तहत प्रचंड ढाई साल तक सरकार का नेतृत्व करेंगे और इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन (यूएमएल) अगले ढाई साल सत्ता में रहेगी।

कौन है प्रचंड?

11 दिसंबर 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड ने करीब 13 साल तक बैकग्राउंड में काम किया। वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए, जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्याग कर राजनीति का मार्ग अपनाया। उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे संघर्ष का नेतृत्व किया था जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ।

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