CM Nitish Kumar Iftar Party: बिहार के 2 जिलों में सांप्रदायिक तनाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास एक अन्य मार्ग पर शुक्रवार को इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के सभी दिग्गज पहुंचे। वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा सहित बिहार सरकार के तमाम मंत्री इफ्तार पार्टी में मौजूद रहे।वहीं इस इफ्तार पार्टी को लेकर सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर पर खूब चर्चा हो रही है। कई लोग नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए इफ्तार पार्टी का बायकॉट कर रहे हैं।उन लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार के पास दंगा पीड़ितों से मिलने का समय नहीं है। लेकिन इफ्तार पार्टी का दिखावा कर मुस्लिमों को गुमराह कर रहे है।
हर साल होता है इफ्तार पार्टी का अयोजन
पार्टी की बात करें तो नीतीश कुमार सहित बिहार के तमाम राजनीतिक दल इसका हर साल आयोजन करते रहे हैं। वहीं साल 2022 में इफ्तार पार्टी के बाद ही बिहार की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिला था। इफ्तार पार्टी के बहाने ही नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के परिवार के करीब आए थे। जिसके कुछ दिनों बाद ही नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी बीजेपी को छोड़ कर पुनः एक बार RJD के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई।
पिछले साल के इफ्तार में इस सरकार की पक्की थी खिचड़ी
बता दें कि पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में अचानक नीतीश कुमार पहुंचे थे जिसके बाद वहां नीतीश कुमार का जोरदार तरीके से स्वागत किया गया था। इफ्तार पार्टी के दौरान तेजस्वी यादव सहित लालू परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नीतीश कुमार की बॉन्डिंग देखने के बाद ही पूरे बिहार में चर्चा हो गई थी कि नीतीश कुमार फिर एक बार पलटी मारने वाले हैं। उस इफ्तार पार्टी के दौरान चर्चा यह भी हुई थी कि नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री ने अपने हाथों से चाय बनाकर पी लाया था। राजनीतिक पंडितो का मानना है कि वर्तमान की महागठबंधन सरकार की पूरी पठकथा वहीं पर लिखी गई थी।
इफ्तार और सांप्रदायिक तनाव को जोड़ कर सीएम से सवाल
वहीं बिहार में रामनवमी के बाद हुए हिंसा के बाद से भी अभी तक बिहार के नालंदा जिले के बिहार शरीफ और रोहतास जिले के सासाराम में तनाव बरकरार है। सोशल मीडिया पर लोग सीएम नीतीश कुमार से पूछ रहे हैं कि, दंगा पीड़ित लोगों का आंसू पोछने के लिए नीतीश के पास समय नहीं है। लेकिन वोट बैंक के लिए इफ्तार पार्टी का दिखावा करते हैं। यह सीएम नीतीश कुमार का दोहरा चरित्र है।