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उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज, हरक सिंह रावत ने थामा कांग्रेस का दामन

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इस समय देश के पांच राज्यों में चुनाव का माहौल है.और इस चुनावी मौसम के बीच दल-बदल का दौर भी तेजी से जारी है. नेता एक पार्टी छोड़कर दूसरे पार्टी में टिकट की जुगत में है. ऐसा ही कुछ हाल उत्तराखंड का भी हुआ है. जहां उत्तराखंड के बड़े नेता हरक सिंह रावत को बीजेपी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. तो हरक सिंह को अब हाथ का साथ मिल गया है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली है.पार्टी जॉइन करने के बाद हरक सिंह रावत ने हरीश रावत से मुलाकात की. हरक सिंह रावत कांग्रेस के वॉर रूम में पहुंचे. जहां प्रियंका गांधी, हरीश रावत, गणेश गोदियाल, प्रीतम सिंह, देवेंद्र यादव और दीपिका पांडेय सिंह मौजूद थे.

हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की सदस्यता लेने से पहले इन नेताओं से मुलाकात की हरक सिंह रावत ने इस दौरान कहा कि जब 10 मार्च को कांग्रेस पूर्ण बहुमत से जीतेगी तो ये मेरी माफी होगी. बीजेपी ने मुझे ‘यूज़ एंड थ्रो’ समझा, मुझे बहुत परेशानी हुई थी. जैसा मैंने वादा किया था मैंने गृहमंत्री अमित शाह के साथ अपनी दोस्ती आखिरी क्षण तक नहीं तोड़ी.उत्तराखंड बीजेपी ने हरक सिंह रावत को पार्टी से छह साल के लिए बाहर कर दिया गया था. वे कोटद्वार विधानसभा से विधायक हैं. हरक सिंह इस बार कोटद्वार विधानसभा सीट को बदलने को लेकर पार्टी पर दबाव बना रहे थे. लेकिन पार्टी इस बात पर राजी नहीं हुई.

बीजेपी से निकाले जाने के बाद हरक सिंह रावत हाथ की तलाश कर रहे थे. हरक सिंह रावत की एंट्री को लेकर इससे पहले हरीश रावत ने कहा था कि हरक सिंह रावत ने लोकतंत्र के खिलाफ काम किया है. उसके लिए प्रायश्चित करें. पार्टियों से रिश्ते बनाने बिगाड़ने का हरक सिंह रावत का इतिहास पुराना रहा है. बीजेपी से ही अपने करियर की शुरूआत करने वाले हरक सिंह रावत ने न सिर्फ कई पार्टियां बदली हैं.

बल्कि अपनी पार्टी बनाने का भी एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं. हरक सिंह रावत का दल-बदल का इतिहास बहुत पुराना रहा है और वो कई पार्टियां बदलने के साथ ही अपनी पार्टी बनाने की भी कोशिश कर चुके हैं. हरक सिंह के सियासी सफर पर नजर डालें तो उन्होंने पहला चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा.1996 में हरक सिंह रावत ने बीएसपी का दामन थामा.

मायावती के बेहद करीबी रहे हरक सिंह ने 1998 में कांग्रेस का दामन थाम लिया और उत्तराखंड राज्य बनने पर कांग्रेस सरकार में मंत्री बन गए. साल 2007 में कांग्रेस की ओर से नेता विपक्ष भी रहे. फिर 2016 में कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में गए. 1991 से अब तक पहले यूपी फिर उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य रहे हैं. तीन बार कांग्रेस और तीन बार बीजेपी सीएम के मंत्रिमंडल में वो शामिल हो चुके हैं. लेकिन एक बार फिर वो कांग्रेस में वापस आ गए हैं.

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