Saurav Ganguly: बीसीसीआई (BCCI) के अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से घमासान जारी है। मौजूदा बीसीसीआई (BCCI) अध्यक्ष सौरव गांगुली का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है।2019 में उन्हें पद पर बिठाया गया था। अगले हफ्ते तक गांगुली का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। आपको बता दें कि बीसीसीआई के अध्यक्ष और बाकी सारे खाली पदों के लिए 11 और 12 अक्टूबर को नामांकन दाखिल किया जाना था।
लेकिन इस अध्यक्ष पद के लिए अभी तक सिर्फ एक ही नामांकन दाखिल किया गया है, जो पूर्व भारतीय खिलाड़ी रोजर बिन्नी ने किया है। रोजर बिन्नी 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। रोजर बिन्नी के अकेले नामांकन दाखिल करने से साफ हो रहा है कि वह किसी चुनाव के ही बीसीसीआई के अध्यक्ष बन सकते हैं। संभावना तो यह भी जताई जा रही है कि 18 अक्टूबर को नहीं अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जब रोजर बिन्नी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया तो उस वक्त सौरव गांगुली ने उनके नाम को तवज्जो नहीं दी। गांगुली अध्यक्ष पद पर काबिज रहना चाहते हैं।
मुंबई में हुई मीटिंग में क्या हुआ?
मुंबई में मंगलवार को बीसीसीआई हेड क्वार्टर में एक मीटिंग हुई। यहां पूरे देश के क्रिकेट संघ से बड़े अधिकारी शामिल हुए थे। BCCI का नियम है कि पुराना अध्यक्ष ही नहीं अध्यक्ष का नाम प्रस्तावित करता है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि गांगुली ने यह नहीं किया। वह दूसरी बार भी बीसीसीआई अध्यक्ष बनना चाहते थे, लेकिन लोग उनके सपोर्ट में नहीं रहे।
बता दें कि उन्हें आईपीएल चेयरमैन पद का ऑफर भी किया गया, लेकिन यह सोचने वाली बात है कि जो व्यक्ति पिछले 3 साल से बीसीसीआई का अध्यक्ष हो उसे आईपीएल का चेयरमैन बनाया जा रहा है। यह एक तरह से उनके लिए डिमोशन था। ऐसे में गांगुली इस ऑफर को कैसे अपना सकते थे। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष हटने के बाद में उसकी किसी उप समिति का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता हूं।
राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी
वही इन खबरों के बीच राजनीतिक पार्टियों ने भी बयानबाजी शुरू कर दी है। पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने बड़ा आरोप लगाया है कि बीजेपी ने सौरव गांगुली को अपमानित किया है, क्योंकि वह उन्हें पार्टी में शामिल करने में नाकामयाब रही। तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बीजेपी ने पहले साल के विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के बीच यह संदेश फैलाने की कोशिश की थी कि राज्य में बेहद लोकप्रिय गांगुली पार्टी में शामिल होंगे। टीएमसी ने यह भी दावा किया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है। जब गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई के सचिव पद पर बने रह सकते हैं तो सौरभ गांगुली क्यों नहीं?