One Nation One Election: अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार एक देश और एक चुनाव को लेकर बेहद ही गंभीर दिखती दे रही है। मीडिया में एक देश एक चुनाव की चल रही खबर के बीच सरकार ने एक समिति का गठन किया है। जो इस पर अपनी रिपोर्ट देगी। इस कमेटी की अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। भारत सरकार इस पर आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी कर सकती है।
5 दिनों का संसद का विशेष सत्र
बीते दिन है केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया था। जिसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि इस स्पेशल सत्र में मोदी सरकार एक देश एक चुनाव को लेकर बिल ला सकती है और चर्चा करने के बाद पास करा सकती है। जैसे ही ये अटकलें चली तभी देश में नई बहस शुरू हो गई। विपक्ष के कई नेताओं द्वारा इस तरह के किसी भी बिल लाने को गैर संवैधानिक तक बता दिया गया।
एक साथ होंगे लोकसभा और विधानसभा चुनाव
अगर देश में एक देश एक चुनाव का फैसला लागू होता है तो सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में जोर-शोर से आवाज उठा चुके हैं।अब देश में इसको लेकर माहौल बनाया जा रहा है। कुछ वक्त पहले ही लॉ कमीशन ने एक देश एक चुनाव पर आम लोगों की राय भी मांगी थी।
पीएम मोदी कई बार कर चूके हैं इसका जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में इस बात का जिक्र किया था कि, किसी को भी एक सिरे से एक देश एक चुनाव के मसले को खारिज नहीं करना चाहिए।इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। पीएम मोदी ने देश का वक्त, खर्च और विकास की गति को तेज करने के लिए एक देश एक चुनाव को वक्त की जरूरत बताया था और कहा कि हमें इस ओर कदम बढ़ाने चाहिए।
22 सितंबर से संसद का विशेष सत्र
दरअसल, ये चर्चा इसलिए तेज हुई क्योंकि बीते दिन केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि, 18 से 22 सितंबर तक केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया है। इस दौरान 5 बैठकें होंगी और अमृत काल की ओर बढ़ रहे देश के विकास के मसलें पर सार्थक चर्चाएं होंगी।
विपक्ष आगबबूला हुआ
हालांकि केंद्र सरकार द्वारा एक देश एक चुनाव को लेकर बनाई जा रहे हैं माहौल पर विपक्ष आग बबूला है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि, अभी देश को इसकी जरूरत नहीं है। मोदी सरकार की मंशा इस मामले में ठीक नहीं है। सरकार को पहले महंगाई से निदान पाने और बेरोजगारी को खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए।