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Haryana Election: हरियाणा में किंगमेकर बनने की रेस में पार्टियां

हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। प्रमुख पार्टियों के साथ-साथ छोटे दल भी राज्य की सियासत में किंगमेकर बनने की होड़ में हैं। भाजपा और कांग्रेस जहां सत्ता की दावेदारी पेश कर रही हैं, वहीं इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP), AAP जैसी पार्टियां किंगमेकर की भूमिका निभाने की तैयारी कर रही हैं।

Haryana election

भाजपा और कांग्रेस की मुख्य दावेदारी

भाजपा, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में, अपने पिछले कार्यकालों की उपलब्धियों को आधार बनाकर चुनाव लड़ रही है। पार्टी का लक्ष्य है कि वह बहुमत हासिल करके लगातार तीसरी बार सरकार बनाए। भाजपा का मजबूत संगठन और केंद्र में मोदी सरकार का समर्थन उसे एक मजबूत स्थिति में रखता है, लेकिन उसे एंटी-इंकम्बेंसी और किसानों के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, कांग्रेस भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राज्य में वापसी की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने पिछले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया था और अब वह भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरेगी। कांग्रेस के अंदर गुटबाजी की खबरें जरूर सामने आ रही हैं, लेकिन पार्टी का मानना है कि चुनाव से पहले ये मतभेद सुलझा लिए जाएंगे।

क्षेत्रीय दलों की किंगमेकर बनने की तैयारी

इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP) जैसी क्षेत्रीय पार्टियां, जो राज्य में अपने मजबूत जनाधार के लिए जानी जाती हैं, इस बार किंगमेकर की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। ओम प्रकाश चौटाला की INLD और दुष्यंत चौटाला की JJP, जाट वोट बैंक पर पकड़ बनाए हुए हैं और उम्मीद कर रही हैं कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगी।

INLD पिछले कुछ चुनावों में कमजोर हुई है, लेकिन चौटाला परिवार का प्रभाव अब भी कुछ क्षेत्रों में बना हुआ है। दूसरी ओर, JJP पिछली बार भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार में शामिल रही, लेकिन इस बार उसकी रणनीति अलग हो सकती है। दोनों पार्टियां समझती हैं कि अगर किसी भी बड़ी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो वे गठबंधन की कुंजी बन सकती हैं।

अन्य छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार

हरियाणा की राजनीति में निर्दलीय उम्मीदवार और छोटे दल भी किंगमेकर की दौड़ में शामिल हैं। राज्य के कुछ क्षेत्रीय मुद्दों और जातिगत समीकरणों के चलते, निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका निर्णायक हो सकती है। यदि कोई भी पार्टी बहुमत से दूर रहती है, तो निर्दलीय उम्मीदवारों और छोटे दलों का समर्थन सरकार बनाने के लिए आवश्यक हो सकता है।

हरियाणा में किंगमेकर बनने की होड़ जोर पकड़ रही है। भाजपा और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबले के बावजूद, क्षेत्रीय दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी भूमिका के लिए तैयार हैं। यदि चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है, तो ये छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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