Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. इस दौरान केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री श्री मुरलीधर ने शुक्रवार को लोकसभा को जानकारी दिया कि साल 2022 में जनवरी से लेकर अक्टूबर के बीच एक लाख से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी है. उन्होंने यह भी बताया कि लगभग 30 मिलियन भारतीय भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं. और विदेश मंत्रालय उन सभी लोगों को सेवाएं प्रदान कर रहा है.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक मुरलीधरन ने लोकसभा को बताया कि, उपलब्ध जानकारी के अनुसार साल 2015 में 1 लाख 31 हज़ार, साल 2016 में 1 लाख 41 हज़ार, साल 2017 में 1 लाख 33 हज़ार,साल 2018 में 1 लाख 34 हज़ार 561, साल 2019 में 1 लाख 44 हज़ार,साल 2020 में 85 हज़ार,साल 2021 में 1 लाख 63 हज़ार लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी.
कांग्रेस सांसद ने मांगा जवाब
इसके साथ ही उन्होनें कहा कि जिन लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है, मंत्रालय उनकी भारत से ली गई संपत्ती पर नजर नहीं रखता है. दरअसल. कांग्रेस सासंद अब्दुल खालिख ने साल 2015 के जनवरी महिने से भारतीय नागरीकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या का विवरण मांगा था. कांग्रेस सासंद के इस सवाल का जवाब केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने दिया.
पासपोर्ट सेवाओं में हुआ सुधार
पासपोर्ट सेवाओं को लेकर किए गए सवाल का जवाब देते हुए वी मुरलीधरन ने कहा कि साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने का बाद पासपोर्ट सेवाओं में 500 प्रतिशत तक सुधार किया गया है.
वहीं क्या पासपोर्ट सेवा केंद्र खोलते समय मंत्रालय विपक्षी सासंदों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के साथ भेदभाव करता है? इस सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों या विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों को सभी तरह की मदद की पेशकश कर रही है. उन्होंने कहा कि मैंने खुद केरल में एक कांग्रेस सासंद के निर्वाचन क्षेत्र में पासपोर्ट सेवा केंद्र खोला है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बंग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर विदेशी नागरिकों की संख्या साल 2015 में 93, साल2016 में 153, साल 2017 में 175, साल 2018 में 129, साल 2019 में 113, साल 2020 में 27, साल 2021 में 42 और साल 2022 में 60 थी.